ओम गुरुजी को आदेश गुरजी को प्रणाम, धरती माता धरती पिता, धरती धरे ना धीरबाजेश्रींगी बाजे तुरतुरि आया गोरखनाथमीन का पुत् मुंज का छड़ा लोहे का कड़ा हमारी पीठ पीछे यति हनुमंत खड़ा, शब्द सांचा पिंड काचास्फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।
बिस्तर के आस-पास। हवेली के आस-पास। छप्पन सौ यादव। लंका-सी कोट, समुद्र-सी खाई। राजा रामचंद्र की दुहाई।॥ ॐ नमो आदेश गुरु को, सोने का कड़ा, तांबे का कड़ा हनुमान वन्गारेय सजे मोंढे आन खड़ा ॥
ॐ नमो बजर का कोठा, जिस पर पिंड हमारा पेठा।ईश्वर कुंजी ब्रह्म का ताला, हमारे आठो आमो का जती हनुमंत रखवाला।
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान, हाथ में लड्डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौनौ खंड का भूत, जाग जाग हड़मान हुंकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटाडग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुंवर हड़मान करें।
"Jai shree Ram"
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